क्या मशरूम की खेती करना आसान है?

मशरूम एक स्वादिष्ट और पौष्टिक खाद्य पदार्थ है। इसे उगाना भी आसान है। मशरूम की खेती के लिए दो मुख्य विधियां हैं:

बायोमास विधि ओर कंपोस्ट विधि

बायोमास विधि बायोमास विधि में, मशरूम के बीज को सीधे जैविक पदार्थों पर लगाया जाता है। जैविक पदार्थों में भूसा, पौधों के अवशेष, और गोबर आदि शामिल हैं।

मशरूम के बीज को जैविक पदार्थों पर समान रूप से फैलाया जाता है। फिर, इसे नमीयुक्त रखा जाता है और 22-25 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखा जाता है। कुछ दिनों के बाद, मशरूम के बीज अंकुरित होने लगते हैं और मशरूम का उत्पादन शुरू हो जाता है। 

कंपोस्ट विधि कंपोस्ट विधि में, मशरूम के बीज को पहले कंपोस्ट में उगाया जाता है। कंपोस्ट एक प्रकार का खाद है जो गेहूं के भूसे, गोबर, और अन्य पदार्थों से बनाया जाता है।

कंपोस्ट विधि में, कंपोस्ट को एक प्लास्टिक बैग या गड्ढे में तैयार किया जाता है। फिर, मशरूम के बीज को कंपोस्ट में समान रूप से फैलाया जाता है।  

मशरूम की खेती के लिए आवश्यक उपकरण 

मशरूम की खेती के लिए यह उपकरण आवश्यक हैं:

बायोमास विधि के लिए: जैविक पदार्थ, जैसे भूसा, पौधों के अवशेष, और गोबर मशरूम के बीज,सिंचाई के लिए व्यवस्था

कंपोस्ट विधि के लिए: गेहूं का भूसा,गोबर,अन्य पदार्थ, जैसे लकड़ी का बुरादा, चावल की भूसी, और नाइट्रोजन युक्त उर्वरक प्लास्टिक बैग या गड्ढा सिंचाई के लिए व्यवस्था

तापमान: 22-25 डिग्री सेल्सियस नमी: 60-70% अंधेरा: मशरूम के बीज अंकुरित होने के लिए अंधेरा वातावरण आवश्यक है।

मशरूम की खेती का समय

मशरूम की खेती के लिए वर्ष का कोई विशेष समय नहीं है। हालांकि, मशरूम के बीज अंकुरित होने के लिए तापमान 22-25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।

इसलिए, मशरूम की खेती के लिए सर्दियों का मौसम उपयुक्त होता है। 

मशरूम की खेती का लाभ

मशरूम की खेती एक लाभदायक व्यवसाय है। मशरूम की मांग बाजार में हमेशा रहती है। 

इसके अलावा, मशरूम की खेती के लिए कम जगह और कम लागत की आवश्यकता होती है। 

मशरूम की खेती के नुकसान

मशरूम की खेती में कुछ नुकसान भी हैं। मशरूम की खेती में मौसम का प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, मशरूम की खेती में कीटों और रोगों का खतरा भी रहता है।

मशरूम की खेती एक सरल और लाभदायक व्यवसाय है। इसे आप अपने घर पर भी कर सकते हैं। 

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