मशरुम की खेती कर लोग कमा रहे, मोटा मुनाफा
देश में अब मशरूम की मांग तेजी से बढ़ रही है। पहले ये शहरी लोगों तक सीमित था, लेकिन अब ये मशरूम गांवों तक भी पहुंच गया है। खास बात यह है कि अब इसकी सब्जी के कोई भी प्रोग्राम पूरा नहीं माना जाता है।
यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ तेजी से बढ़ा है, मशरूम की खेती बेहतर आमदनी का जरिया बन सकती है। बस कुछ बातों का ध्यान रखना होता है, बाजार में मशरूम का अच्छा दाम मिल जाता है।
अलग.अलग राज्यों में किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, कम जगह और कम समय के साथ ही इसकी खेती में लागत भी बहुत कम लगती है, जबकि मुनाफा लागत से कई गुना ज्यादा मिल जाता है।
मशरूम की खेती के लिए किसान किसी भी कृषि विज्ञान केंद्र या फिर कृषि विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण ले सकते हैं। विश्व में मशरूम की खेती हजारों वर्षों से की जा रही है, जबकि भारत में मशरूम के उत्पादन का इतिहास लगभग तीन दशक पुराना है।
भारत में 10-12 वर्षों से मशरूम के उत्पादन में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। इस समय हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना व्यापारिक स्तर पर मशरूम की खेती करने वाले प्रमुख उत्पादक राज्य है।
देश में बेहतरीन पौष्टिक खाद्य के रूप में मशरूम का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा मशरूम के पापड़, जिम का सप्लीमेन्ट्री पाउडर, अचार, बिस्किट, टोस्ट, कूकीज, नूडल्स, जैम सॉस, सूप, खीर, ब्रेड, चिप्स, सेव, चकली आदि बनाए जाते हैं।
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Directorate of Mushroom Research
मशरूम की खेती कैसे करें घर पर
बेहतर कमाई के लिए मशरूम की खेती एक अच्छा विकल्प है। इसके लिए लंबे.चौड़े खेत की जरूरत नहीं बल्कि एक कमरा ही काफी रहता है। कम जगह और कम लागत के बाद भी किसानों को कुल खर्च का तीन गुना तक इनकम होती है।
सालभर में सिर्फ एक कमरे में 3 से 4 लाख रुपए की इनकम आसानी से हो सकती है वह भी सिर्फ 50 से 60 हजार रुपए खर्च करने के बाद। स्थानीय तौर पर उपलब्ध गेहूं और सोयाबीन के भूसे में मशरूम की उन्नत प्रजाति प्ल्युरोटस ओस्ट्रेट्स और गेनोड्रोमा किस्म को कम लागत में लगाने के प्रयोग कर सकते हैं।
एक साल में सुबह.शाम एक.एक घंटे देने के बाद भी तीन लाख रुपए का इनकम हो सकती है। मशरूम को उगाने में गेहूं.सोयाबीन के भूसे ओर दानों का इस्तेमाल होता है। यह मशरूम 2.5 से 3 महीने में तैयार हो जाते हैं।
10 ग्राम लगता है बीज
सबसे पहले गेहूं को उबाला जाता है और इस पर मशरूम पाउडर डाला जाता हैए जिससे मशरूम का बीज तैयार हो जाता है। इसे तीन महीने के लिए इस बीज को 10 किलोग्राम गेहूं के भूसे में 10 ग्राम बीज के हिसाब से रखा जाता है। 3 महीने बाद गेहूं के ये दाने मशरूम के रूम में अंकुरित होने शुरू हो जाते हैं।
इसके बाद इन्हें 20 से 25 दिनों के लिए पॉलिथीन में डालकर 25 डिग्री तापमान वाले कमरे में रखा जाता है। इसके बाद मशरूम बिकने के लिए तैयार होता है।
भूसा भी आता है काम
मात्र 20 से 25 हजार की लागत में 10 बाई 10 के रूम में कोई भी किसान मशरूम का उत्पादन कर सकता है। बाजार में मशरूम की कीमत 100 से 300 रुपए प्रति किलो तक है।
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जो इसकी लागत का तीन से पांच गुना मुनाफा है। एक बार मशरूम निकल जाने पर काम आ चुके भूसे को खली के साथ मिलाकर दुधारू पशुओं को खिलाने से दुग्ध उत्पादन बढ़ता है।
इस भूसे को आर्गेनिक खाद के रूप में भी खेतों की उर्वरकता बढ़ाने में काम में लिया जा सकता है। मशरूम की खेती बंद कमरों में की जाती हैए इसलिए इस पर कम व ज्यादा बारिशए ओलों का कोई फर्क नहीं पड़ता। इसका उत्पादन 25 से 30 दिन के अंदर शुरू हो जाता हैए जो 2 माह तक चलता है। ट्रायल में 100 रुपए किलो के बीज से भूसे में शुरुआत कर सकते हैं।
50 रुपए प्रति किलो आती है लागत
एक किलोग्राम मशरूम को तैयार करने में लगभग 50 रुपए का खर्च आता है। इसके तहत 15 किलोग्राम मशरूम बनाने के लिए 10 किलोग्राम गेहूं के दानों की आवश्यकता होती है। यदि आप एक बार में 10 क्विंटल मशरूम उगा लेते हैं तो आपका कुल खर्च 50 हजार रुपए आता है। इसके लिए आपको 100 वर्गफीट के एक कमरे में रैक जमानी होगी।
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